UP: राज्य सरकार ने किसानों को कमाई बढ़ाने का बताया तरीका, इस चीज की खेती की दी सलाह
Silk Farming: रेशम उत्पादन से आम किसानों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. रेशम कारोबार को बढ़ावा देने के लिए वाराणसी में एक सिल्क एक्सचेंज (Silk Exchange) भी खोला गया है.
रेशम से खुशहाल बनेगी यूपी में किसानों की जिंदगी. (Image- Pixabay)
रेशम से खुशहाल बनेगी यूपी में किसानों की जिंदगी. (Image- Pixabay)
Silk Farming: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार (Yogi Government) किसानों को खेती के साथ अन्य सहायक कार्यों से जोड़कर उनकी आमदनी बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है. इसके तहत प्रदेश में रेशम उत्पादन (Silk Production) को बढ़ाने की रणनीति पर काम किया जा रहा है. वर्तमान में, प्रदेश के 57 जिलों में रेशम उत्पादन होता है. लेकिन वैज्ञानिक अध्ययन के बाद प्रदेश सरकार अब इसे रेशम उत्पादन की जलवायु के अनुकूल 31 जिलों में गहनता के साथ बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. इसके तहत रेशम उत्पादन से आम किसानों को जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. रेशम कारोबार को बढ़ावा देने के लिए वाराणसी में एक सिल्क एक्सचेंज (Silk Exchange) भी खोला गया है.
रेशम का उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य
एक्सपर्ट बताते है कि जब उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड अलग हुआ तो प्रदेश में मात्र 22 टन रेशम उत्पादन होता था. यह आज बढ़कर 350 टन हो गया है. सरकार ने अगले 3-4 साल में रेशम उत्पादन को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है. बता दें कि प्रदेश में 9 एग्रो क्लाइमेटिक जोन हैं. इनमें से नेपाल से सटा तराई का क्षेत्र रेशम की खेती के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है. यहां के किसानों को रेशम की खेती पसंद भी आ रही है. 20 वर्षों में उत्पादन में 14 गुना बढ़ोतरी इसका प्रमाण है. बेहतर प्रयास के जरिए अगले 5 वर्षों में इसमें 10 गुना बढ़ोतरी संभव है.
ये भी पढ़ें- बकरी पालन ने बदली मोनिका की तकदीर, अब कमा रही ₹50 हजार का मुनाफा, आप भी लें आइडिया
TRENDING NOW
भारी गिरावट में बेच दें ये 2 शेयर और 4 शेयर कर लें पोर्टफोलियो में शामिल! एक्सपर्ट ने बताई कमाई की स्ट्रैटेजी
Adani Group को एक ही दिन में दूसरा झटका! NSE ने ग्रुप कंपनियों से मांगी सफाई, ₹2.45 लाख करोड़ का मार्केट कैप स्वाहा
EMI का बोझ से मिलेगा मिडिल क्लास को छुटकारा? वित्त मंत्री के बयान से मिला Repo Rate घटने का इशारा, रियल एस्टेट सेक्टर भी खुश
मजबूती तो छोड़ो ये कार किसी लिहाज से भी नहीं है Safe! बड़ों से लेकर बच्चे तक नहीं है सुरक्षित, मिली 0 रेटिंग
Adani Group की रेटिंग पर Moody's का बड़ा बयान; US कोर्ट के फैसले के बाद पड़ेगा निगेटिव असर, क्या करें निवेशक?
उत्तर प्रदेश में रेशम की पैदावार व आपूर्ति बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने कर्नाटक सरकार के साथ एक समझौता किया है. इसके तहत यहां के बुनकरों को कर्नाटक से असली रेशम मिल सकेगा। रेशम की बेहतर उत्पादकता प्राप्त करने के लिए प्रदेश सरकार शीघ्र ही किसानों के एक बड़े दल को प्रशिक्षण के लिए कर्नाटक भेजेगी.
50 हजार किसान परिवारों की जिंदगी होगी रौशन
सरकार के अफसर कहते हैं कि योजनाबद्ध तरीके से योगी सरकार रेशम (Silk) से 50 हजार किसान परिवारों की जिंदगी को रौशन करेगी. सरकार- 2.0 ने बेहद चुनौतीपूर्ण लक्ष्य रखा है. इसके अनुसार ककून (Cocoon) धागाकरण का लक्ष्य करीब 30 गुना बढ़ाया गया है. अभी 60 मीट्रिक टन ककून से धागा बन रहा है. अगले पांच साल में इसे बढ़ाकर 1750 मीट्रिक टन किया जाना है. इसके लिए रीलिंग मशीनों की संख्या 2 से बढ़ाकर 45 यानी 23 गुना किए जाने का लक्ष्य है. इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार पूरी शिद्दत से लगी है.
ये भी पढ़ें- आम आदमी की थाली से गायब नहीं होगी दाल, सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला
17 लाख शहतूत और अर्जुन के लगाए जाएंगे पौधे
सरकार ने अगले एक साल का जो लक्ष्य रखा है, उसके अनुसार सिल्क एक्सचेंज से अधिकतम बुनकरों को जोड़ा जाएगा. 17 लाख शहतूत और अर्जुन का पौधारोपण होगा और कीटपालन के लिए 10 सामुदायिक भवनों के निर्माण की शुरूआत की जाएगी. ओडीओपी योजना के तहत इंटीग्रेटेड सिल्क कॉम्प्लेक्स का डिजिटलाइजेशन, 180 लाख रुपये की लागत से 10 रीलिंग इकाइयों की स्थापना और कीटपालन के लिए 10 अन्य सामुदायिक भवन का निर्माण भी इसी लक्ष्य का हिस्सा है.
कुल रेशम उत्पादन (Silk Production) में अभी उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी महज 3% है. उचित प्रयास से यह हिस्सेदारी 15 से 20% तक हो सकती है. बाजार की कोई कमीं नहीं है. अकेले वाराणसी और मुबारकपुर की सालाना मांग 3000 मीट्रिक टन की है. इस मांग की मात्र एक फीसदी आपूर्ति ही प्रदेश से हो पाती है. जहां तक रेशम उत्पादन की बात है तो चंदौली, सोनभद्र, ललितपुर और फतेहपुर टसर उत्पादन के लिए जाने जाते हैं. कानपुर शहर, कानपुर देहात, जालौन, हमीरपुर, चित्रकूट, बांदा और फतेहपुर में एरी संस्कृति का अभ्यास किया जाता है.
ये भी पढ़ें- MNC की नौकरी छोड़ इसे बनाया कमाई का जरिया, अब हो रही है लाखों की कमाई
सरकार रेशम की खेती के लिए इन सभी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर अर्जुन का पौधारोपण करवाएगी. तराई के जिले शहतूत की खेती के लिए मुफीद हैं. प्रदेश के 57 जिलों में कमोवेश रेशम की खेती (Silk Cultivation) होती है. सरकार रेशम की खेती को लगातार प्रोत्साहित कर रही है.
ये भी पढ़ें- बकरी पालन ने बदली इस शख्स की किस्मत, 2 महीने की ट्रेनिंग के बाद खड़ा कर दिया ₹10 लाख का बिजनेस
Zee Business Hindi Live TV यहां देखें
05:58 PM IST